कल्किपुराण अति संक्षिप्त कथा

            🔆 कल्किपुराणसंक्षिप्त 🔆   

ॐ कल्कि भगवते नमः  

श्री कल्कि पुराण एक उपपुराण है -श्रीमद् भागवत महापुराण का ही शेष अंश है क्योंकि श्रीमद्भागवत पुराण की कथा सुनते हुए राजा परीक्षित को 7 दिन पूरे होने वाले थे तक्षक नाग ने अपना काम पूरा किया और श्री सुखदेव जी ने कथा को विराम दिया भगवान कल्कि की द्वादश स्कंध में मात्र संभल ग्राम में जब सूर्य बृहस्पति और चंद्र एक राशि पर पुष्य नक्षत्र पर होंगे भगवान संभल ग्राम में जन्म लेंगे मात्र यही परिचर्चा करके श्रीमद् भागवत का पारायण पूरा हो चुका था फिर मार्कंडेय मुनि के माध्यम से श्री कल्कि उप पुराण की कथा प्रारम्भ हुई श्रीमद्भागवत महापुराण में 12 स्कन्धों में 18000 श्लोक बताए जाते हैं जो पूरे नहीं हैं श्रीमद्भगवत महापुराण में महात्म्य भी मिला कर  कुल 14148 श्लोक मात्र हैं श्रीकल्कि पुराण में कुल 35 अध्याय हैं l तीन अंशों में विभक्त है, प्रथम तथा द्वितीय अंश में 7-7 अध्याय हैं  , तृतीय अंश में 21 अध्याय हैं 1359 श्लोक हैं l इस पुराण में भगवान् विष्णु के 24वें श्रीकल्कि अवतार का चरित्र भूत काल में वर्णित है l   

इस पुराण में प्रथम मार्कण्डेय जी और शुक्रदेव जी के संवाद का वर्णन है। कलियुगऔर उसके वंश का घोर पापमय उत्पात को न सहन कर पाने के कारण पृथ्वी गोरूप धारण देवताओं के साथ, विष्णु के सम्मुख जाकर उनसे अवतार की प्रार्थना करते हैं। *भगवान् विष्णु के अंश रूप में ही (सम्भल गांव जो कि जिला मुरादाबाद पास) सम्भल गांव में ब्राह्मण विष्णुयश देवी सुमति के घर कल्कि भगवान का जन्म होता है।* महामुनि भगवान्   परशुराम आदि दर्शन के लिये पधारे तो उसी समय कल्कि का नाम करण होता है उसके आगे कल्कि भगवान् की दैवीय गतिविधियों का सुन्दर वर्णन मन को बहुत सुन्दर अनुभव कराता है। *कल्कि भगवान् के तीन बडे भाई थे l उनके  नाम है-कवि, प्राज्ञ, सुमन्त्रक l*  कल्कि भगवान् के *गार्ग, भार्ग विशाल आदि मित्र हैं l*  भगवान् *परशुराम जी से विद्या अध्ययन* के पश्चात भगवान् कल्कि शिव आराधना कर *(बिल्बोदकेश्वर महादेव की स्थापना स्तुति कर )* 


*वरदान,शुक(तोता), खड्ग(तल्वार),अश्व(घोड़़ा) शिव से प्राप्त कर* विशाखयूप राजा से मित्रता कर ली l *श्रीकल्कि का विशाखयूप राजा को धर्म का उपदेश तत्व ज्ञान प्रदान* करते हैं


शुक ने भगवान् कल्कि  को पद्मावती के विषय बताया कि शिव से पद्मा जी ने वरदान पाया है जिस के कारण - कोई भी पुरुष उससे विवाह का विचार करते नारी हो जाता है l 

भगवान् कल्कि जी विवाह के उद्देश्य से सिंहल द्वीप जाते हैं। वहां जलक्रीड़ा के दौरान *राजकुमारी पद्यावती से परिचय होता है। देवी पद्मा का विवाह कल्कि भगवान के साथ ही होगा। अन्य कोई भी उसका पात्र नहीं होगा। प्रयास करने पर वह स्त्री रूप में परिणत हो जाएगा। चर्चा फैल गई -स्वयंवर हुआ,जो राजा विवह हेतू  आयें नारी हो गये l अंत में कल्कि व पद्मा का विवाह सम्पन्न हुआ* और विवाह के पश्चात् स्त्रीत्व को प्राप्त हुए राजागण पुन: पूर्व रूप में लौट आए कल्कि भगवान ने बहा सिंहल द्वीप में चारों वर्णों को  धर्मोपदेश किया जो राजा स्त्री बन गए थे उन राजाओं ने प्रश्न किया  स्त्री पुरुष बचपन जवानी और बुढ़ापा कौन देता है भगवान ने अनंत मुनि को याद किया और मुनि ने अपना वृतांत सुनाते हुए अपने माता-पिता से लेकर अपने विवाह अपने पुत्र अधिक अन्य माया संबंधित वृतांत सुनाएं तथा इसी संदर्भ में मुनियों के परमहंस तत्व का वर्णन किया । कल्कि *भगवान् पद्मा को बिदा करा कर साथ लेकर सम्भल गांव में आए। विश्वकर्मा के द्वारा उसका संभल नगरी का अलौकिक तथा दिव्य नगरी के रूप में निर्माण हुआ।*


कल्कि जी ने यज्ञ किये

*दिग्विजय की बौद्धो , जिनसुतों  ( जैनो) म्लेच्छों का नाश कर* कुथोदरी और उसका पुत्र विकुञ्ज का उद्धार किया l

कलि से युद्ध किया ,ख्रस, (अंग्रेज),कम्बोज, पुलिन्द बचे *म्लेचेछों का नाश किया* 


*भगवान् के तीन बडे भाईयों का वंश है-कवि और कामकला से वृहद् कीर्त , बृहद् बाहु, प्राज्ञ और सन्नति से यज्ञ, विज्ञ, सुमन्त्रक और मालिनी से शासन ,वेगवान पुत्र हुए l तथा भगवान् कल्कि के पद्मा जी से दो पुत्र  जय और विजय हुये।*


हरिद्वार में कुम्भपर्व पर कल्कि जी ने नारद मुनि और *रघुवंशी राजा मरू तथा चंद्रवंशी राजा देवापि तथा मुनियों से मिलकर सूर्यवंश का और भगवान् राम का चरित्र वर्णन किया। मरू सूर्यवंशी* और देवापि शन्तनु के भाई भरतवंशी दोनों तप के उपरान्त कल्कि भगवान् से भेटे ,यहाँ *सतयुग दण्डी साधु के भेष में आया* और *धर्म ब्रह्मण के वेश में आया* l या अनेक ऋषि मुनि भगवान् कल्कि के दर्शन के लिए आये।

मरु और  देवापि को इंद्र ने दिव्य रथ अस्त्र शस्त्र दिये। फिर प्रभु श्री *कल्कि ने कलि नगर पर  आक्रमण किया,*

उस नगर में माँस आदि की  बद् बू  थी वंश सहित कलि सेना का नाश होने पर वह नगर की कन्दरा में छिपा ,सतयुग ने आग सब ओर से लगा दी वह झुलस् गया और *कलि पृथ्वी लोक को छोडकर अन्य लोक में अपनी विशना पुरी को चला गयाl*

संक्षेप कर्ता लेखक आचार्य

पं सतीश कुमार शास्त्री

बाद में *शशिध्वज का कल्कि से युद्ध और उन्हें अपने घर मूर्छित कल्कि को गोद में ले जाने का वर्णन ह*ै, शशिध्वज की पत्नी  कल्कि भक्त थीं यहाँ जो स्तुति की वह 🍁 *सुशान्ता गीत* 🍁जहां  *शशिध्वज ने अपनी प्राणप्रिये पुत्री रमा का विवाह कल्कि भगवान से* करते हैं।

कल्कि तथा रमा विवाहोत्सव में शशिध्वज का  पूर्व जन्म की कथा तथा *गंडकी नदी शालिग्राम* के महत्व का वर्णन।

 लक्ष्मण के ज्वर के  *द्विविद वानर* का  लक्ष्मण जी के हाथों द्वापर युग में कृष्ण अवतार के  समय बलराम जी के हाथों मृत्यु का वरदान *ज्वर नाशक मंत्र वर्णन।*

कांचनीपुरी (कोलकाता) में विषकन्या प्रसंग।

उसके बाद सम्भल में नारद जी, आगमन *विष्णुयश का नारद जी से मोक्ष विषयक प्रश्न,*  अंत में विष्णु लोक बैकुंठ की प्राप्ति 

*रुक्मिणी व्रत का प्रसंग और रमा जी को दो पुत्रों की भी 👌 मेघमाल और बलाहक प्राप्ति।*

*सतयुग की स्थापना के प्रसंग* को वर्णित किया गया है। वह शुकदेव जी की कथा का गान करते हैं। अंत में दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी और शर्मिष्ठा की कथा है। इस पुराण में मुनियों द्वारा कथित 🌅 *श्री भगवती गंगा स्तव* 🌄का वर्णन भी किया गया है। पांच लक्षणों से युक्त यह पुराण संसार को आनन्द प्रदान करने वाला है। इसमें साक्षात् विष्णु स्वरूप भगवान कल्कि के अत्यन्त अद्भुत क्रियाकलापों का सुन्दर व प्रभावपूर्ण चित्रण है। जो  पुराण का अध्ययन व पठन करते हैं, वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं॥🌼🍀🌸🌺🌹🌿🍀🍁💐 *जय श्रीकल्कि भगवान की* 🍀🍁🔆🌺🌸🌿🌼🌻🌹🍁

संक्षेप कर्ता लेखक आचार्य
पं सतीश कुमार शास्त्री 9555869444 ;9210103470

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