श्री पद्मावती महालक्ष्मी स्तोत्रम्


  आचार्य पं. सतीश कुमार शास्त्री रचित🙏😊

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 श्रीपद्मावती महालक्ष्मी स्तोत्रम्

पद्म सुवदनां देवीं पद्मस्थितां हरिप्रियाम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१।।


प्रसन्नवदनां देवीं सर्वदा चस्मितमुखीम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।२।।


सम्भलेश प्रियां  देवीं सिंहले कृतजन्मनीम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।३।।


कमलां त्वां महालक्ष्मीं महादारिद्रनाशिनीम् ।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।४।।


सर्वयोग-समन्वितां धनदां अपराजिताम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।५।।


शङ्ख-पद्मधरां सौम्यां वरदाभय हस्तकाम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।६।।


महाकारुण्य-रूपां च महाधन- प्रदायिनीं

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।७।।


कमले! भवभीतोSहं सर्व-दारिद्र-हारिणीं ।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।८।।


चपलां चञ्चलां पद्मां धनालय-निवासिनीम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।९।


त्वां श्रियं पद्महस्तां च त्वां विष्णु-बल्लभां भजे ।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१०।।


लक्ष्मीं पद्मासनां देवीं सर्वाभरण-भूषितां।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।११।।


पद्म-पत्रा-यताक्षीं च सर्व-काम-प्रदायिनीं ।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१२।।


सर्व माङ्गल्य-युक्तां त्वां लक्ष्मी-मावाहयाम्यहम्।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१३।।


हिरण्य-वर्ण-वर्णां च सर्व-सौभाग्य-दायिनीम् ।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१४।।


श्रीं हिरण्यमयीं लक्ष्मीं स्वर्ण-कान्ति-तनुप्रभाम्।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१५।।


धन-स्वर्णस्य कुम्भाङ्कां धनमृद्धिं ददातु मे।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१६।।


सर्वाबाधा प्रशमनं सर्वदारिद्र-नाशनम्।

 पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१७।।


इन्द्राणीपति-सद्भाव-पूजितां परमां श्रियम्।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१८।।


सौरभाङ्गीं सुगन्धां च नतोSहं कल्कि-बल्लभाम्।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।१९।।


आद्यां देवार्चितां हेमां सर्व-दारिद्र-हारिणीं।

पद्मनाभ प्रियां देवीं पद्महस्ते सुशोभिताम्।२०।।


अर्चिदेवीं महालक्ष्मीं पद्मां नित्यां सदा भजे।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।२१।।


श्रृणु देवी महालक्ष्मि! दरिद्रत्-त्राहि वेगतः ।

पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।२२।।


त्वां पद्मां रुक्मणीं देवीं सीता-मर्चिं रमां भजे।

-पद्मां पद्मावतीं देवीं नमामि कल्कि बल्लभाम् ।।२३।।


ऐश्वर्यां वैभवां स्वर्णां सकलैश्वर्यसिद्धिदाम्।

मम-अलक्ष्मीर्विनाशार्थं लक्ष्मीर्बृद्धि प्रदागृहे।२४।।


यो यो पूजयते नित्यं श्रीपद्मां भक्तवत्सलाम्।

यदा यदा हि दारिद्रयं तदा तदा विनश्यतु।।२५।।


भवेत् धान्यं धनं पूर्णं अर्थ सिद्धि-मवाप्नुयात्।

पद्मावती महालक्ष्मी स्तोत्रं पठति यो नरः।।२६।।


धनस्वरूपे सर्वेशे पद्मे सर्वार्थ-साधिके।

दरिद्रात् त्राहि नो देवि! पद्मावति!नमोस्तुते।।२७।।

आचार्य पं. सतीश कुमार शास्त्री विरचितम्

इति श्री पद्मावती महालक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम्








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