सुख-समृद्धि पाने के लिये कार्तिक मास में सात नियम

 


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आचार्य पं.सतीश कुमार शास्त्री

9555869444, 9210103470

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सुख-समृद्धि पाने के लिये कार्तिक मास में  इन सात प्रकार के नियमों का सेवन अवश्य करें

वैदिक एवं पौराणिक और प्राचीन (हिन्दू) ग्रंथों में  कार्तिक मास का विशेष महत्वपूर्ण माहात्म्य है। सभी धर्म शास्त्रों के अनुसार इस पूरे कार्तिक मास में व्रत व अनुष्ठान् का विशेष महत्व बताया गया है। उसके अनुसार, जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व अनुष्ठान् करता है उसे जीवित रहते सुख मृत्यु उपरान्त मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

समस्त सुख दिलाता है कार्तिक मास, अवश्य मेल करें दीप का दान

हमारे स्कन्धादि पुराणों  में कहा है कि भगवान् नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुण संपन्न माहात्म्य के संदर्भ में बताया है। कार्तिक मास में 7 नियम प्रधान माने गये हैं, जिन्हें करने से शुभ फल मिलते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है। ये 7 नियम इस प्रकार हैं -

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आगे पढ़ें कार्तिक मास में 7 नियम निभाएं, सुख-समृद्धि पाएं... 

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पहला नियम : दीपदान

धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में  नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

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दूसरा नियम : तुलसी पूजा  - 

      इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।

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तीसरा नियम : भूमि पर शयन -  

भूमि पर सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में  सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं। 

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चौथा नियम : तेल लगाना वर्जित -  

कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर  तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।

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पांचवां नियम : कार्तिके द्विदलं त्यजेत् (दाले न खायें) दालों का निषेध

 - कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द,  मसूर, चना, मटर,  आदि नहीं खाना  चाहिये।

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छठा नियम : ब्रह्मचर्य का पालन - 

कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने  पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं। 

सातवां नियम : संयम रखें -

  कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिये कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात् कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें योगियों सा जीवन जीयें आदि।

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अद्भुत कार्तिक मास का महत्वपूर्ण माहात्म्य 

    🔺जो कार्तिक मास प्राप्त हुआ  जानकर महत्वपूर्ण माहात्म्य को समझें कार्तिक मास में पराये अन्न का सर्वथा त्याग करता है (बाहर का कुछ नही खाता) उसे अतिक्रच्छ नामक यज्ञ करने का फल मिलता है  

    🔺जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को कमल के फूल चढाता है। वह 1 करोड जन्म के पाप से मुक्त हो जाता है । 

    🔺 जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को तुलसी चढाता है  , वह हर 1 पत्ते पर 1 हीरा दान करने का फल पाता है।
    🔺जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज गीता का एक अध्याय पडता है वह कभी यमराज का मुख नही देखता।
   🔺जो मनुष्य कार्तिक मास मे शालिग्राम शिला का दान करता है उसे सम्पूर्ण पृथ्वी के दान का फल मिलता है ।
   🔺कार्तिक मास मे जो व्यक्ति पूरे मास पलाश की पत्तल मे भोजन करता है । वह विष्णु लोक को जाता है ।
   🔺 कार्तिक मास मे तुलसी पीपल और विष्णु की रोज पूजा करनी चाहिए अनंत सुख समृद्धि भोगता है।
   🔺जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करता है । उसे पग पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
    🔺इस जन्म के तमाम पाप  है वह सब कार्तिक मास मे दीपदान करने से नष्ट हो जाते है, इसलिए तुलसी और पीपल पर दीप जरूर जलाएं।
    🔺 जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज नाम जप करते है। उन पर भगवान विष्णुअति प्रसन्न वरदान देते है ।
    🔺 जो मनुष्य कार्तिक मास मे तुलसी ,पीपल या आवले का वृक्षारोपण करते है। वह पेड़ जब तक पृथ्वी पर रहते है। लगाने वाला तब तक वैकुण्ठ मे वास करता है ।

   🟥 हम अतिशय भाग्यशाली हैं जो हमे कार्तिक मास के रूप में अद्भुत , अनूठा और बेशकीमती वरदान मिला है, अधिक से अधिक लाभ उठाकर अपना तथा अपने परिवारजनों का सुरदुर्लभ मानव शरीर रूपी जीवन धन्य और सार्थक करें।


🌹ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹


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