गोपाष्टमी महोत्सव गोनवरात्र

 


आचार्य सतीश कुमार शास्त्री 9555869444

गोपाष्टमी महोत्सव 1 नवंबर 2022

गोपाष्टमी के दिन गोपूजन की परम्परा है, यह पूजा  सुरभि (काम धेनु) के रूप में होती हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर यानि गोवर्धन पूजा से लेकर और आंवला नवमी (कार्तिक शुक्ला नवमी) तक गौ नवरात्रे कहलाते हैं। कार्तिक शुक्ला अष्टमी विशेष रुप से गो पूजन का दिन है। अनेक कल्प हुये हैं उन कल्पों का सृजन अनेक प्रकार से हुआ है किसी कल्प में ब्रह्मा जी से सुरभि की उत्पत्ति हुई तो किसी अन्य कल्प में गोपाष्टमी के दिन समुद्र से कामधेनु की उत्पत्ति ।


 कामधेनु रूपा गौमाता में 33 कोटि देवताओं का निवास है। आज के दिन जो कोई भी गो पूजा करेंगे उनको  सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा।

      कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अन्नकूट की  गोवर्धन पूजा होती है ब्रज वासियों ने इन्द्र का पूजन न करके  भगवान श्री कृष्ण के कहने से गिरिराज महाराज का पूजन किया तो बृजवासी इन्द्र के कोप के भाजन बने। इन्द्र ने सम्पूर्ण ब्रिज को नष्ट करने के लिए 7 दिन तक लगातार वर्षा की भगवान् श्रीकृष्ण ने समस्त ब्रजवासियों को देवराज (इन्द्र देवताओं) के राजा के क्रोध से बचाने के लिये गोवर्धन पूजा के दिन(कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा के दिन) अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी ब्रजवासियों ने बर्षा,आंधी, तूफान से बचने के लिये गिरिराज महाराज गोवर्धन के उस पर्वत के नीचे श्री कृष्ण के सानिध्य में शरण ली थी। ब्रज क्षेत्र में सात दिनों की निरन्तर वर्षा की प्रलयंकारी चपेट के बाद देवराज इन्द्र का क्रोध शान्त हुआ। देवराज इन्द्र के लिये बृहस्पति ने भी भगवान की स्तुति कर क्षमा दिलाने का प्रयास किया किन्तु इन्द्र की ओर भगवान् गोप की दृष्टि से देखने लगे तब सुरभि ने भगवान् का अपने दुग्ध से अभिषेक किया इन्द्र को क्षमादान दिलाने के लिये भगवान् से आग्रह किया भगवान् श्रीकृष्ण सुरभि के अभिषेक से प्रसन्न हो गये। और उन्होंने गोपाष्टमी के दिन ही माता कह कर के सुरभि धेनु का पूजन किया। भगवान् श्री कृष्ण ने इन्द्र को पूर्णत: क्षमा कर दिया गोपाष्टमी का त्यौहार पूरे ब्रज मण्डल क्षेत्र में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

पहली बार श्री कृष्ण गोपाष्टमी के दिन ही छोटे-छोटे बछड़ो का पूजन किया और प्रथम दिन वह उन्हें चराने के लिये वन में ले गये थे। आज ही गोपाष्टमी के दिन भगवान् श्री कृष्ण ने प्रथम बार गोचारण प्रारम्भ किया था।


 गोपाष्टमी

सनातन धर्म (हिन्दू ओं) में गोपाष्टमी त्यौहार का विशेष प्रकार का महत्व है। इस दिन गौ माता और उनके बछड़ों को सजाया जाता है। और उनकी पूजा की जाती है।  ये त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन न केवल ब्रज में, अपितु पूरे भारतवर्ष अथवा पूरी दुनिया में मनाया जाता है। मनाया जाता है। ये मथुरा, वृन्दावन समेत ब्रज क्षेत्रों का सुप्रसिद्ध त्यौहार है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि गौ माता का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं के आशीर्वाद से अमंगल दूर होता है।


इसलिये इस दिन गायों की पूजा करके गोदान करने का विशेष फलप्रद शुभ कारक समस्त ग्रह अरिष्ट कष्ट का नाशक साधन बताया गया है। शास्त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है गोदान विशेष रूप से फलदायी है गौ दान करने के लिये सामर्थ्य का होना भी अत्यावश्यक है असमर्थ होने पर भी धातु निर्मित धेनु का दान भी किया जा सकता है हमारे शास्त्र इस प्रकार की गर्जना करते हैं कि जो कोई भी आज के दिन धेनु गाय की रक्षा का संकल्प लेते हैं गाय की रक्षा कई प्रकार की जा सकती है जैसे रोगी गायों की विशेष रूप से औषधीय चिकित्सा, गायों को चारा इत्यादि डालना तथा गायों की व्यवस्था, गायों को भोजन और गायों का शीत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु आदि से संरक्षण इसी से भी सभी मनोकामना पूरी होती हैं।


ये है गो पूजन  का शुभ मुहुर्त


गो पूजन प्रातः काल, मध्यान्ह काल, या सायंकाल गोधूलि बेला में करना अति उत्तम रहता है।



गोपाष्टमी पूजा ऐसे कीजिये 


गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहायें और मन्दिर की सफाई करें. इसके बाद मन्दिर में गाय माता की बछड़े के साथ एक चित्र लगायें और घी का दीपक जलायें। गौ माता की पूजन का संकल्प करें 

     गौ माता के चरणों में जल अर्पण करें गौ माता को वस्त्र उड़ायें, माथे पर गौ माता के गोरोचन का टीका करें, गले में बजने वाली घण्टी पहनायें,  इसके बाद फूल की माला अर्पित करें । गौमाता को गुड़ चने की दाल, कुट्टी (चारा) डालें इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिये और उनके चरण स्पर्श अथवा गौ माता की पूंछ का  स्पर्श करना चाहिये 


   अगर आपको अपने घर के आसपास गाय न मिले तो गौशाला में जाकर गाय की सेवा कर सकते हैं। पूजा के लिये  सबसे पहले गाय को स्नान करा और रोली-चंदन से उनका तिलक करें। उन्हें फूल चढ़ायें और भोग लगायें, इस दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगायें इससे पापतथा कुकृत्य दोष से मुक्ति मिलती है।

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