वेद का सिद्धान्त छाया राहु व केतु के पड़ने से ग्रहण
वेद, पुराण, शास्त्रों में बताया गया है छाया तम अंधकार ही राहु केतु हैं
ऋग्वेद पञ्चम मण्डल में ग्रहण छाया के कारण बताया है उस छाया के दो भाग हैं (पृथ्वी और चंद्रमा की छाया है) सूर्य का चांद के पिछले हिस्से से पड़ने वाली अंधकार की पृथ्वी पर छाया, तथा पृथ्वी के सूर्य के प्रकाश के विपरीत पीछे की छाया जो चंद्रमा पर पड़ती है। विषय में ही बताया गया इसका मानवी इनका प्रभाव होता है इस कारण से ग्रहों का प्रभाव होता है इसलिए इसे धर्म से जोड़ा जाना आवश्यक है जब तुम्हारा आधुनिक विज्ञान पैदा भी नहीं हुआ वेद उससे बहुत पहले का ज्ञान है
सूर्य सिद्धान्त भी बहुत पुराना है ब्रह्मा सिद्धान्त भी बहुत पुराना है आपके विज्ञान से पूर्व
इन दोनों ग्रंथों में लिखा है "तेजसानां गोलक: सूर्य: निस्तेज: सर्वे ग्रहा:" तेजवान अर्थात प्रकाशवान केवल सूर्य है और सभी ग्रह सूर्य के प्रकाश से चमकते हैं बच्चों को सिखाने के लिए कुछ धर्म अपनाया जाय किन्तु वेदों का अपना सिद्धान्त है
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