(1)
लग्नेश यदि छठे आठवें और 12 वें  स्थान में स्थित हो तो प्राय: कष्ट होता है।
(2)
लग्नेश व चंद्रमा दोनों पापा ग्रह से युक्त हों लग्नेश कमजोर हो तथा लग्न या चंद्रमा पर शुभ ग्रहों की दृष्टि ना हो तो अरिष्ट होता है
(3)
क्षीण चंद्रमा बारहवें भाव में हो तथा उस पर राहु की दृष्टि हो
(4)
पापा ग्रह से युक्त लग्नेश सप्तम(मारक) स्थान में हो

(5)
पाप ग्रह से युक्त
लग्नेश सप्तम  स्थान में हो

(6)
सिंह राशि का शुक्र 6,8,12 स्थान में स्थित हो तथा  पाप ग्रहों की दृष्टि हो।

(7)
सिंह के नवांश में शनि हो तथा उस पर राहु की दृष्टि हो साथ ही चंद्रमा चतुर्थ में एवं सूर्य षष्ठम भाव में हो

(8)
जन्म राशि का स्वामी पापा ग्रहों से युक्त होकर अष्टम  स्थान में हो
(9)
सूर्य चंद्रमा शनि तीनों एकत्र होकर 6 8 12 स्थानों में कहीं हो
(10)
चंद्र व बुध दोनों केंद्र में हो शनि या मंगल (अस्त) की उन पर दृष्टि हो तो परम अरिष्ट जानना चाहिये।

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